



साहिबगंज: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल दिल्ली के प्रधान बेंच में राजमहल की ऐतिहासिक पहाड़ी को बचाने संरक्षित करने, अवैध खनन और क्रेशर पर रोक लगाने समेत वायु, जल, ध्वनि प्रदूषण से मुक्त दिलाने को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता सैयद अरशद नसर द्वारा दायर याचिका पर कई बार सुनवाई टलने के बाद आखिरकार बुधवार को सुनवाई हुई. सुनवाई में सेंट्रल पॉल्यूशन बोर्ड नई दिल्ली, झारखंड राज्य पॉल्यूशन बोर्ड सहित कई बड़े अधिकारी उपस्थित हुए. सुनवाई से पहले एनजीटी ने झारखंड राज्य के अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सदस्य सचिव सह निदेशक खान अमित कुमार ने 247 पन्ने की दो रिपोर्ट एनजीटी को सौंपा. प्रवर्तन निदेशालय ने फिलहाल अपनी प्रगति रिपोर्ट समर्पित नहीं की, सुनवाई के दौरान पीठ ने सरकार की कार्यशैली पर जमकर फटकार लगाते हुए आदेश को सुरक्षित रख लिया. अब पुलिस, प्रशासनिक पदाधिकारी, नेता, पत्थर कारोबारी और माफियाओं की दिलों की धड़कन बढ़ गई है.
याचिका वापस लेने पर फटकार
इधर इस मामले में एक याचिकाकर्ता ने जब मामले को वापस लेने का प्रयास किया तो पीठ ने करीब फटकार लगाते हुए जुर्माना लगाने का अल्टीमेटम दिया. पीठ ने पूर्व में सरकारी पदाधिकारी और पत्थर कारोबारी पर लगे कम जुर्माना पर और नाराजगी जताते हुए समीक्षा की बात कही. एनजीटी द्वारा गठित हाई लेवल उच्चस्तरीय कमिटी ने एनजीटी को सौंपी अपनी रिपोर्ट में दर्जनों खनन पट्टा और स्टोन क्रेशर का ईसी-सीटीओ खत्म हो चुका है. ऐसे में इन्हें रद्द करने का उल्लेख भी किया है.
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