



रांची: मांडर से कांग्रेस विधायक शिल्पी नेहा तिर्की ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान सदन में एजुकेशन सिस्टम को लेकर गंभीर सवाल उठाए, स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विधायक ने कहा की आजादी के 75 वर्ष के बाद भी आज हम साक्षरता दर, पढ़ने लिखने की क्षमता से मापते हैं. महज अक्षरों की जानकारी साक्षरता का प्रमाण कैसे हो सकता है. झारखंड में हर क्लास में 32 छात्र हैं और स्कूलों में 47 छात्रों में महज एक शिक्षक हैं. ऐसे में हमारी प्राथमिक शिक्षा सिस्टम का हाल क्या है इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है. एडमिशन लेने वाले सौ में से सिर्फ 30 ही छात्र स्कूली शिक्षा पूरी कर निकल रहे हैं. अभिभावक गरीबी में इन्हें पढ़ा नहीं सकते. 75 फीसदी की आबादी में खानपान, शिक्षा की हालत वैसी नहीं है जैसी होनी चहिये.
शिक्षा-साक्षरता को लेकर सरकार चिंतित
विधायक ने कहा सरकार ड्रॉपआउट बच्चों को लेकर चिंतित है. इसी वजह से 32023-24 के लिये 12 हजार 546 करोड़ का बजट प्रस्तावित है. शिक्षा में सुधार को लेकर कदम उठाए जा रहे हैं. इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने सूबे में खुले निजी विश्वविद्यालयों को लेकर भी सवाल उठाए और कहा की कई यूनिवर्सिटीज महज दो कमरों में ही चल रही हैं. ऐसी यूनिवर्सिटीज की जांच की जानी चाहिये, इससे फेक यूनिवर्सिटीज भी उजागर हो जाएंगी. जो विद्यार्थियों को सपना दिखाकर ठग रहे हैं और अपनी दुकान चला रहे हैं. इसपर स्पीकर रबींद्र नाथ महतो ने कहा की समिति पहले सी बनी हुई है आपके सुझाओं को उसमें शामिल किया जाएगा.
एकलव्य विद्यालयों में आरएसएस की आइडियोलॉजी
शिल्पी नेहा तिर्की नई शिक्षा नीति को लेकर केंद्र की बीजेपी सरकार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा एकलव्य विद्यालयों को आरएसएस की आइडियोलॉजी से चलाया जा रहा है, जिससे आदिवासी बच्चों को वनवासी में बदला जाए, इस स्कूल में राज्य सरकार की कोई भूमिका नहीं दी गई है और एनजीओ से चलवाया जा रहा है. ऐसे में इसका जिम्मा राज्य सरकार को दिया जाना चाहिये. जिससे स्थानीय स्तर पर इसमें सुधार हो सके.
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