



दिल्ली: देश में नए वेरिएंट H3N2 वायरस के खौफ के बीच अब कोरोना ने फिर से दस्तक दे दी है. मिनिस्ट्री ऑफ हेल्थ एंड फैमिली वेलफेयर की मानें तो अब भी देश में कोरोना के मामले बढ़ते देखे जा रहे हैं. इसी बीच एक्सपर्ट्स ने ट्यूबरक्लोसिस में कोरोना से खतरा होने की बात की है. एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना के बाद टीबी दुनिया में मौत का दूसरा मेन कारण है.
कोरोना ने टीबी बनाय दिया खतरनाक
पिछले दो दशकों में इलाज के जरिये विश्व भर में 66 मिलियन लोगों की टीबी की बीमारी से जान बचाई गई है, लेकिन 2020 में कोविड के आने के बाद से टीबी उन्मूलन के कार्यक्रमों में रुकावट हुई है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) कि रिपोर्ट के मुताबिक 2021 में दुनिया भर में टीबी से लगभग 16 लाख लोगों ने जान गंवाई. 2021 में टीबी की चपेट में 60 से लाख से ज्यादा लोग आए, जो 2020 के आंकड़े से 4.5 प्रतिशत ज्यादा है. 2019 में टीबी से ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 7.1 मिलियन थी, वहीं कोरोना के आने के बाद 2020 में ये 6.4 मिलियन पर आ गई. और वर्ष 2021 में 5.8 मिलियन यानि कोरोना के बाद से टीबी रोग से ग्रसित लोगों के ठीक होने का अनुपात लगातार घटा है.
क्या है ट्यूबरक्लोसिस यानि टीबी ?
तीन सप्ताह से ज्यादा खांसी रहने पर ट्यूबरक्लोसिस की जांच कराने की सलाह दी जाती है. टीबी फेफड़ों में होने वाला खतरनाक संक्रमण है. जो धीरे-धीरे पूरे शरीर को चपेट में लेकर इम्यूनिटी वापर पर असर डालता है. इसके मुख्य लक्षणों में तेज खांसी, बलगम और खांसते वक़्त खून आना, तेज बुखार रहना, वजन घटते जाना, रात में पसीना आना और कमजोरी और थकावट रहना शामिल है. टीबी से रोगी की इम्यूनिटी कम हो जाती है ऐसे में उसपर दूसरी बीमारियों के अटैक का भी खतरा बढ़ जाता है. एनसीबीआई की रिसर्च में भी यह बात सामने आई है कि टीबी, कोरोना संक्रमण में 2.10 गुना जोखिम को बढ़ाने का कारण बन सकता है.
क्या लाइलाज है टीबी ?
ट्यूबरक्लोसिस से ग्रस्त लोगों को संक्रमण से बचने के लिए कुछ विशेष सावधानियों पर ध्यान देना चाहिए. ये एक संक्रमण वाली बीमारी है यानि हवा के जरिये एक से दूसरे में फैलती है. टीबी ग्रसित रोगियों के संपर्क में आने से लोग इसके चपेट में आसानी से आ सकते हैं. पहले टीबी को लाइलाज बीमारी माना जाता था, इससे प्रभावित लोगों को अलग थलग या किसी टीबी सैनेटोरियम में रखा जाता था लेकिन अब इलाज संभव और आसान है. DOTS के आने बाद इसका इलाज आसान हो गया है, टीबी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं के साथ कम से कम 6 महीने तक चलता है. साथ ही टीबी रोग पर नियंत्रण के लिए अस्पतालों, स्वास्थ्य केंद्रों पर फ्री जांच और दवा की सुविधा भी उपलब्ध है.
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