



रांची: त्योहारों का सीजन चल रहा है, आज से रमजान शुरु हो गया है, सरहुल की शोभायात्रा निकाली जाएगी, हिंदू नववर्ष के साथ आज चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन है. नवरात्रि के तीसरे दिन देवी चंद्रघंटा की उपासना की जाती है. मां दुर्गा की तीसरी शक्ति को चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा का रूप सौम्य है. मां को सुगंध बहुत ही प्रिय है. युद्ध मुद्रा में सिंह पर विराजमान मां चंद्रघंटा के हाथों में तलवार, त्रिशूल, धनुष और गदा धारण करती हैं. इनके माथे पर घंटे के आकार में अर्द्ध चंद्र विराजमान है, इसलिए ये चंद्रघंटा कहलाती है. मां चंद्रघंटा को शांति और कल्याण का प्रतीक माना जाता है. इन्हें पापों की विनाशिनी कहा जाता है. उपासना से साहसी और पराक्रमी बनने का वरदान मिलता है. शास्त्रों के अनुसार, मां चंद्रघंटा ने राक्षसों के संहार के लिए अवतार लिया था. इनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवों की शक्तियां समाहित हैं.
पूजा करने से मिलती है आध्यात्मिक शक्ति
मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से जातक को आध्यात्मिक शक्ति के साथ भौतिक सुख की प्राप्त होती है. कहा जाता है कि जो भक्त निरंतर उनके पवित्र विग्रह को ध्यान में रखकर साधना करता है. दु्र्गा सप्तशती के अनुसार मां चंद्रधंटा के स्वरूप ने ही महिषासुर का वध किया था. मां चंद्रघंटा को पीला रंग अतिप्रिय है. ऐसे में मां को पीला वस्त्र चढ़ाकर प्रसन्न करें. मां चंद्रघंटा को सफेद कमल और पीले गुलाब की माला अर्पित करना शुभ माना गया है. कहते हैं कि ऐसा करने भक्त की सारी मनोकामना पूर्ण होती है, देवी चंद्रघंटा को को केसर की खीर और दूध से बनी मिठाई का भोग अर्पित करना चाहिए. इसके अलावा पंचामृत से स्नान कराए. मां को मिश्री अर्पित करें.
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