



जमशेदपुर: रमजान का पका महीना चल रहा है, इस माह में मिस्वाक (एक तरह का दातून) की बिक्री भी काफी बढ़ जाती है. साकची जामा मस्जिद के आसपास कि दुकानों में भी भारी संख्या में रोजेदार मिस्वाक खरीदने पहुंच रह हैं. रमजान के पहले दिन ही यहां के सारे मिस्वाक बिक गए. दुकानदार मो. साद बताते हैं पूरे साल के मुकाबले में रमजान में मिस्वाक के मांग में और दाम में भारी इजाफा हो जाता है, जो मिस्वाक आम दिनों में 15-20 रुपये में बिकता है और ज्यादातर तब्लीगी जमात वाले इस का इस्तेमाल सालों भर करतें हैं. वही मिस्वाक रमजान में 25-30 रुपये में बिकने लगता है. वहीं आम दिनों के मुकाबले इसकी बिक्री भी हजार गुणा तक बढ़ जाती है.
सुन्नत है मिस्वाक करना
मिस्वाक पैगंबर-ए-रसूल की सुन्नतों में से एक है, रोजेदार सेहरी और इफ्तार से पहले मिस्वाक का इस्तेमाल करते हैं. मिस्वाक से नेकी तो मिलती ही है साथ ही बैक्टीरिया, बदहजमी, एसिडिटी के साथ शरीर की अन्य बीमारियां भी दूर होती हैं. पहले सऊदी अरब, पाकिस्तान से हाजी मिस्वाक लाते थे, लेकिन अब यहां आसानी से मिल जाता है. रमजान में रोजेदार एक भी नेकी छोड़ने के मूड में नहीं रहते, क्योंकि अल्लाह एक नेकी के बदले 70 नेकियां जो देता है. इस्लाम में मिस्वाक करना, वजू (हाथ -मुंह धोना) की सुन्नत बताया गया है. मिस्वाक ‘पीलू’ नाम की लकड़ी की बना होता है. यह पेड़ पाकिस्तान के कराची, हिन्दुस्तान के राजस्थान और सउदी अरब में पाया जाता है.
मिस्वाक के फायदे
दांतों में संक्रमण रोकता है.
मुंह से बदबू नहीं आती है.
दांत मजबूत और चमकदार हो जाते हैं.
दांतों में ठंडा-गर्म लगने की समस्या खत्म होती है.
मसूड़ों से खून आने की समस्या ठीक हो जाती है.
पायरिया ठीक करने में मदद करता है.
रोजे की हालत में मुंह में फ्रेशनेस आती है.