



रांची: चैत्र नवरात्रि के आठवें दिन आज दुर्गा अष्टमी है. मां दुर्गा के आठवें स्वरुप मां महागौरी की पूजा की जा रही है. भगवान शिव के वरदान से देवी को अतिगौर वर्ण प्राप्त हुआ. मां महागौरी का ध्यान-स्मरण और पूजन करना भक्तों के लिए सर्वाधिक कल्याणकारी माना जाता है. इनकी कृपा से भक्तों को आलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है. मां का ये स्वरूप भक्तों के कष्ट को दूर करता है. मां महागौरी की पूजा से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं. इस दिन पूजा करने से धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती है. कष्ट और दुख दूर होते हैं. बैल पर सवार मां महागौरी सफेद वस्त्र धारण करने वाली चतुर्भुज देवी हैं. वो त्रिशूल धारण करती हैं.
दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजा
दुर्गा अष्टमी पर मां महागौरी की पूजा करने के बाद हवन और कन्या पूजा करते हैं. दो साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं का पूजन करके उनसे अशीर्वाद लेते हैं. कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इसलिए कन्या पूजन करते हैं. कुमारी पूजा में ये बालिकाएं देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों को दर्शाती हैं, इन्हें कुमारिका, त्रिमूर्ति, कल्याणी, रोहिणी, काली, चंडिका, शांभवी, दुर्गा कहा जाता है.
मां महागौरी की स्वरुप
पौराणिक कथाओं के अनुसार, पर्वतराज हिमालय के जन्मीं देवी पार्वती ने नारद जी के बताने पर भगवान शिव के लिए कठोर तप किया. उन्होंने हजारों वर्ष की कठोर तपस्या करके भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया. तब शिव जी से उनको विवाह का आशीर्वाद प्राप्त हुआ. कठोर व्रत और तप से उनका शरीर बहुत ही कमजोर और काला पड़ गया था. तब भगवान शिव ने देवी पार्वती को वरदान दिया, जिसके फलस्वरुप उनको अत्यंत ही गौर वर्ण प्राप्त हुआ. यही देवी मां महागौरी कहलाईं.