



रांची: पिछले वर्ष नंवबर के महीने में झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर हेमंत सोरेन सरकार ने 1932 आधारित स्थानीय नीति और आरक्षण संशोधन विधेयक पास कराया था. जिसके बाद जमकर प्रचार प्रसार किया गया. खुद सीएम हेमंत सोरेन खतियानी जोहार यात्रा पर निकले थे. 8 दिसंबर से मुख्यमंत्री ने खतियानी जोहार यात्रा की शुरुआत की थी. तीन फेज में मुख्यमंत्री अबतक 14 जिलों का भ्रमण कर चुके हैं. मार्च में विधानसभा का बजट सत्र के कारण इस यात्रा से संथालपरगना और उत्तरी छोटानागपुर के जिले अभी भी बाकी रह गए थे. इन जिलों को अप्रैल-मई में पूरा करने की प्लानिंग थी. लेकिन अब 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति से जुड़े विधेयक को वापस ले लिए जाने के बाद सरकार अब फिर से इस यात्रा को निकालने को लेकर संशय में है.
विशेष सत्र बुला पास हुआ था विधेयक
झारखंड विधानसभा के विशेष सत्र में हेमंत सोरेन सरकार ने 1932 आधारित स्थानीय नीति और आरक्षण संशोधन विधेयक पास कर किया था. इस विधेयक के अनुसार वो लोग झारखंड के स्थानीय या मूल निवासी कहे जाएंगे जिनका या जिनके पूर्वजों का नाम 1932 या उससे पहले के खतियान में दर्ज होगा. जिनका नाम 1932 खतियान में दर्ज नहीं होगा या फिर जिनका खतियान खो गया हो या नष्ट हो गया हो ऐसे लोगों को ग्राम सभा से सत्यापन लेना होगा कि वो झारखंड के मूल निवासी हैं या नहीं. भूमिहीन व्यक्तियों के मामले में स्थानीय व्यक्ति की पहचान ग्राम सभा की ओर से संस्कृति, स्थानीय रीति-रिवाज, परंपरा के आधार पर की जाएगी.
हाई कोर्ट ने माना असंवैधानिक
हेमंत सोरेन की सरकार ने नियोजन नीति-2021 भी बनायी थी. इसमें यह प्रावधान था कि थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में सामान्य वर्ग के उन्हीं लोगों की नियुक्ति हो सकेगी, जिन्होंने 10वीं और 12वीं की परीक्षा झारखंड से पास की हो. हाई कोर्ट ने इसे असंवैधानिक माना था और समानता के अधिकार के अधिकार के खिलाफ मानते हुए इसे रद्द कर दिया था. हाईकोर्ट के इस निर्णय के बाद नयी नियोजन नीति के प्रावधानों के अनुरूप हो चुकीं या होने वाली वाली तकरीबन 50 हजार नियुक्तियों पर सीधा असर पड़ा है.
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