रांची के लोयो गांव में दिख रहे ‘हनुमान’, कोई चमत्कार या छलावा ? उमड़ रही भक्तों की भीड़

रांची: हमारे पास एक वायरल खबर पहुंची, जिसकी हकीकत जानने हमारी WM24x7 News की टीम रांची जिले के मांडर ब्लॉक के लोयो गांव पहुंची. रांची-गुमला रोड होते हुए हम इटकी पहुंचे फिर वहां से लोगों से पूछते-पूछते एक अच्छी और पक्की सड़क के सहारे लोयो गांव पहुंचे. हां कुछ दूर तक हमें कच्चे टेढ़ेमेढ़े रास्तों से भी गुजरना पड़ा. गांव में प्रवेश करते बिलकुल वही माहौल, जिससे गांव शब्द का अहसास हो, कड़ी दोपहर में सड़कों पर सन्नाटा, दूर पेड़ की छांव में कुछ बच्चे खेल रहे थे, गांव में बमुश्किल एकाध दुकान जो खुली मिली. तभी हमें सड़क के दोनों किनारें महावीरी झंडे लगे दिखे, लोगों की भीड़ भी दिखने लगी. और ये समझते देर नहीं लगी कि हम हमारी मंजिल के करीब हैं. फाइनली हम उस घर के दहलीज पर पहुंच चुके थे जहां चमत्कार होने का दावा किया जा रहा था. घर के बाहर जूते और चप्पलों का ढेर पड़ा था, अंदर जल रही अगरबत्ती की सुगंध यहां तक आ रही थी. हमारे हाथ में कैमरा, माइक देखकर गांव वाले और भी उत्सुक हो गए. चेहरे पर खुशी चमकने लगी फिर उस चमत्कार के बार में जानकारियां बरसने लगीं. हमने भी अपने-अपने जूते और चप्पल उतारे और घर के आंगन में पहुंचे. जहां एक लंबे से बांस पर हनुमान जी का तस्वीर वाला केसरिया झंडा लहरा रहा था. इस झंडे की स्थापना रामनवमी में की गई थी. लोग झंडे की पूजा कर रहे थे, ये वहां पर पड़ी सिंदूर, हनुमान जी की तस्वीर, चढ़ावा से पता चल रहा था. फिर हमें घर के आंगन से होते हुए एक कमरे में ले जाया गया, जिसका दरवाजा काफी छोटा था, हमने भी पूरी श्रद्धा के साथ झुकते हुए वहां प्रवेश किया. अंदर बिलकुल अंधेरा. इस अंधेरे के बीच करीब 25 से 30 लोगों की भीड़. सही से कुछ दिखाई भी नहीं पड़ रहा था. फिर हमारी नजर सामने की एक दीवार पर पड़ी उस दीवार में एक बड़ा और उसके बगल में तीन छोटे महावीरी झंडे लहरा रहे थे, संभवता तीन छोटे झंडे उसी एक बड़े झंडे के प्रतिबिंब लग रहे थे, क्योंकि जैसे जैसे बड़ा झंडा मूवमेंट कर रहा था ठीक वैसे ही ये छोटे झंडे भी लहरा रहे थे. फर्श से इसकी ऊंचाई करीब 5 से 6 फीट ऊंची रही होगी जहां पर ये चमत्कार दिख रहा था. नीचे दीवार से बिलकुल सटा एक दीया जल रहा था, यहां भी सिंदूर, पत्ते, केले, लड्डू और कुछ पैसे चढ़ाए हुए थे. लोग जय श्री राम और जय हनुमान के नारे लगा रहे थे, माहौल किसी मंदिर के जैसा. पहली नजर में तो लगा ये घर क आंगन में लगे उस बड़े से महावीरी झंडे की परछाई होगी, लेकिन आश्चर्य वाली बात ये थी, कि यहां पर तो दीवार में चार झंडे दिख रहे थे वो भी रंगीन, जी हां दीवार पर दिख रहे झंडे बिलकुल ऐसे दिख रहे थे मानो असली हों, हवा में ये भगवा झंडे खूब लहरा रहे थे. हमने ये जांचने की कोशिश की कि आखिर ये प्रोजेक्टर से निकलने वाली तस्वीर जैसी आकृति आखिर यहां पर कैसे दिख रही है. कमरा बिलकुल अंधेरा था, उपर खपड़ों के बीच से कहीं कहीं बाहर की रोशनी झांक रही थी लेकिन ये उतनी या उस कोण से नहीं आ रही थी. जिससे इस तरह की आकृति उभर सके. समय दोपहर के सवा एक बज रहे थे सूरज भी अब पश्चिम की दिशा में ढलान पर था, ऐसे में ये भी संभव नहीं था कि बाहर आंगन में लगे झंडे की परछाई यहां पर पड़े क्योंकि कमरे की ये दीवार पश्चिम की दिशा में स्थित थी और झंडे की परछाई पूरब की दिशा में बन रही थी. हमने फिर कमरे के चारों तरफ नजर दौड़ाई, कि कहीं कोई प्रोजेक्टर या लेजर के जैसा तो नहीं लगा है ? लेकिन ऐसा भी कुछ नजर नहीं आया, क्योंकि अनुमन प्रोजेक्टर या लेजर से निकलने वाले रे अंधेरे में नजर आते हैं. यहां पर वो भी नहीं दिखा. तो फिर इस दीवार पर महावीरी झंडे की तस्वीर बन रही है तो कैसे ?

हमने इसके बारे में विस्तार से जानने के लिये घर के मालिक मनोज गोप के बारे में पूछा लेकिन वो खेतों में काम करने के लिये निकले थे, उनकी पत्नी ने बताया की रामनवमी के दिन अचानक कमरे पर घुसने पर दीवार पर ये अजीब सा नजारा दिखा. लेकिन हमने इसे परछाई समझा, शाम में सूर्य के ढलने तक ये दिखा, फिर दूसरे दिन सूरज की किरण निकते ही ये फिर दिखने लगा. तब इसकी जानकारी आस पड़ोस वालों को दी गई. धीरे-धीरे लोग पहुंचने लगे, तस्वीर/वीडियो लेने लगे और ये वायरल होने लगा. फिर क्या था यहां पर भीड़ उमड़ने लगी, ना सिर्फ आसपास के गांव, रांची शहर, बल्कि जमशेदपुर और बोकारो से भी यहां पर लोग पहुंचने लगे. कोई इसे बजरंगबली का चमात्कार, तो कोई कल्युग में भगवान का संकेत बताने लगा. गांव की औरतें तो यहां पर बकायदा एक भव्य मंदिर की निर्माण की मांग करने लगीं. जमकर जयकारे लग रहे थे. रामनवमी के दिन से शुरु हुआ ये चमत्कार अभी भी दिख रहा है. दूर दराज से लोग यहां पर मत्था टेकने पूजा करने पहुंचने लगे हैं. लेकिन आश्चर्य की बात है कि प्रशासन ने अबतक ये जानने की कोशिश भी नहीं की, कि ये आखिर है क्या ? ये सच में कोई चमत्कार है या फिर विज्ञान की मदद से कोई छलावा ? सच का सामने आना जरुरी है. फिलहाल इस लोयो गांव की स्थिति फिल्म ‘पिपली लाइव’ के नत्था के गांव के जैसी बनी है, यहां पर सुबह होते ही मेला सा नजारा दिखने लगता है. कैमरे चमकने लगते हैं. इस कथित चमत्कार से जुड़े तरह तरह के किस्से सुनाए जाने लगे हैं.