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झारखंड के 35 नगर निकायों का कार्यकाल खत्म, अब लगाने पड़ेंगे सरकारी बाबुओं के चक्कर

रांची: झारखंड के 35 नगर निकायों का कार्यकाल खत्म हो गया है. इसमें रांची नगर निगम भी शामिल है. राज्य के 35 नगर के मेयर, डिप्टी मेयर, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, वार्ड पार्षद जैसे जनता के चुने गए नगर निकाय जन प्रतिनिधियों के सभी अधिकार खत्म हो गए. क्योंकि इनके पांच वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया है. अगर चुने हुए जनप्रतिनिधियों को सेवा में विस्तार नहीं दिया जाता है तो इस हाल में सरकार निकाय के अधिकारियों को शक्तियां दे देगी. और निकायों के बोर्ड को भी भंग कर दिया जायेगा.नगर निकायों की तरफ से मिलने वाले वाहन, वेतन सहित मिलने वाले सभी भत्ते को भी बंद कर दिये जाएंगे.

अब चलेगा सरकारी बाबुओं का राज

अब शहर की सरकार पर सरकारी बाबुओं का राज होगा. आम लोगों को साफ-सफाई, पानी, स्ट्रीट लाइट, नाली, पेंशन जैसे कामों के लिये पार्षद के बात करने की जगह नगर निगम के चक्र लगाने पड़ेंगे. सबसे ज्यादा परेशानी गर्मी के इन दिनों में पानी की हो सकती है. अभी तक पार्षदों के सहयोग से पानी के टैंकर मुहल्लों तक पहुंचते हैं. लेकिन अब पानी के लिये निगम कार्यालय से संपर्क करना होगा.  रांची नगर निगम के अलावा जिन 34 नगर निकायों का कार्यकाल 27 अप्रैल को समाप्त होगा उनमें , गढ़वा, चतरा, मधुपुर, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़, मिहिजाम, चिरकुंडा, फुसरो, गुमला, लोहरदगा, हज़ारीबाग़, गिरिडीह, मेदिनीनगर, आदित्यपुर, सिमडेगा, चाईबासा, रामगढ़, कपाली, हुसैनाबाद, नगर उंटारी, लातेहार, डोमचांच, छत्तरपुर, बरहरवा, राजमहल, जामताड़ा, बासुकीनाथ, खूंटी, बुंडू, सरायकेला, खरसावां नगर परिषद् शामिल हैं.

15वें वित्त आयोग से नहीं मिलेगा फंड

नगर निकाय चुनाव नहीं होने से राज्य सरकार को शहरी निकायों के विकास के लिये 15वें वित्त आयोग से लगभग 1600 करोड़ रुपये का दावा है, उसपर ग्रहण लग सकता है. पहले ही राज्य के 13 निकायों में तीन वर्षों से चुनाव लंबित हैं. अब इसमें 34 और जुड़ गए.

आरक्षण की वजह से लटका चुनाव

बता दें की ओबीसी आरक्षण को लेकर चुनाव तय समय पर नहीं हो पाये और आने वाले कुछ महीनों में भी इनके कराये जाने की कोई संभावना नहीं दिखती. ओबीसी आरक्षण तय होने के बाद ही निकाय चुनाव होंगे. नये नियमों के आधार पर अब नगर निगम, नगरपालिकाओं और अन्य नगर निकायों में मेयर या अध्यक्ष पद के लिए एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण का निर्धारण राज्य सरकार संबंधित वर्ग की जनसंख्या के आधार पर करेगी. इस से पहले रोटेशनल आधार पर आरक्षण लागू करने का नियम था. झारखंड में पिछले साल नवंबर में राज्य सरकार ने निकाय चुनाव की तैयारी कर ली थी. उम्मीदवारों ने प्रचार भी शुरू कर दिया था लेकिन इस पर विवाद खड़ा हो गया और चुनाव टालने पड़े.

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