



रांची: आज साल का पहला चंद्र ग्रहण लग रहा है. जब पृथ्वी की स्थिति सूर्य और चांद के बीच में होती है लेकिन चांद पृथ्वी के सीधे में नहीं होता बल्कि उसकी छाया के बाहरी या धुंधले हिस्से से होकर गुजरता है तो इस स्थिति में पेनुम्ब्रा के रूप में माना जाता है. इसके परिणाम स्वरूप पेनुम्ब्रा चंद्रग्रहण देखने को मिलता है. इस स्थिति में पृथ्वी की उपछाया चांद पर पड़ती है. चंद्र ग्रहण 5 मई रात 8:42 से 6 मई की सुबह 1:03 तक दिखाई देगा लगभग 4:30 घंटे की अवधि वाला ये इस वर्ष का पहला चंद्रग्रहण भी है. इससे पहले साल का पहला सूर्य ग्रहण 20 अप्रैल को लगा था. चुंकी पैनंब्रा चंद्रग्रहण में पृथ्वी की उपचाया बहुत हल्की होती है, इसलिए इस को पहचानना कठिन हो सकता है. क्योंकि यह चंद्रमा की ऊपरी सतह पर दिखती है चंद्र ग्रहण समझने का सबसे अच्छा समय अधिकतम ग्रहण के आसपास है. जब चंद्रमा का एक किनारा दूसरे की तुलना में थोड़ा गहरा दिखाई देता है. बता दें की आज बुद्ध पूर्णिमा भी है.
ग्रहण को लेकर मान्यता
चंद्र ग्रहण एक खगोलीय घटना है लेकिन हिन्दू धर्म की धार्मिक मान्यताओं में इसे अशुभ माना जाता है. यह एक दैवीय आपदा मानी जाती है. ज्योतिष के अनुसार ग्रहण के दौरान राहु चंद्रमा को ग्रसित कर लेता है. जिसकी वजह से ग्रहण लगता है. चंद्रमा मन का कारक है, इसलिए इसके ग्रसित होने का प्रभाव हर किसी के मन-मस्तिष्क पर पड़ता है.
भारत नहीं लगेगा सूतक काल
5 मई को लगने वाले पहले चंद्रग्रहण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और एशिया के कुछ हिस्सों में दिखाई देगा. हालांकि भारत में यह पूर्ण रूप से दिखाई नहीं देगा. स्वामी दिव्यानंद के अनुसार भारत में साल का पहला चंद्र ग्रहण आंशिक रूप से दिखाई देगा इसलिए सूतक भी नहीं माना जायेगा. ऐसे में गर्भवती महिलाएं आम दिनों की तरह रह सकती हैं. किसी तरह की राषि पर भी इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला. सूतक काल के नियमों के बारे में बताये तो इस दौरान घर पर ही रहना चाहिए. पूजा पाठ नहीं करना चाहिए, पूजा स्थल और मूर्तियों को नहीं छूना चाहिए. सूतक काल से पहले बने हुए खाने में तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए. इस दौरान कोई भी शुभ काम नहीं करना चाहिए. लेकिन ये इस चंद्र ग्रहण पर लागू नहीं होगा.