



रांची: निलंबित आईएएस और रांची के पूर्व उपायुक्त छवि रंजन को ईडी ने बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा से हिनू स्थित अपने क्षेत्रिये कार्यालय लाया. जहां उनसे पूछताछ चल रही है. ईडी अब उनसे जमीन फर्जीवाड़े का राज उगलवाएगी, इस दौरान मामले में पहले से गिरफ्तार आरोपियों से आमना-सामना भी कराया जा सकता है. शनिवार को कोर्ट ने ईडी को छवि रंजन की 6 दिनों की रिमांड दी थी.
हर अंचल में फिक्स था छवि का कमीशन
ईडी ने छवि रंजन को रिमांड पर लेने के लिए कोर्ट में जो दस्तावेज सौंपा है, उसमें एक बड़ा खुलासा हुआ है. इसके मुताबिक रांची जिले के सभी 22 अंचल कार्यालयों से छवि रंजन की कमीशन तय थी. उन्हें हर अंचल कार्यालय से प्रति माह दो से ढाई लाख रुपए मिलते थे. ये पैसे उनके एक काफी करीबी व्यक्ति के माध्यम से पहुंचाए जाते थे. यही नहीं, छवि रंजन ने कई लोगों को अनुचित लाभ पहुंचाकर पैसे वसूले. उन्हें धोखाधड़ी करने में मदद की और तथ्यों को छिपाया.
सरकार ने भी कर दिया निलंबित
इस से पहले शनिवार देर शाम छवि रंजन को निलंबित कर दिया गया. वर्तमान में वो समाज कल्याण विभाग में सचिव थे. इस संबंध में शनिवार को राज्य सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई थी.
गुरुवार रात हुई थी गिरफ्तारी
गुरुवार रात रांची के पूर्व डीसी रहे आईएएस अधिकारी छवि रंजन को दस घंटे की लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने गिरफ्तार कर लिया था. कोर्ट में पेशी के बाद एक दिन के न्यायिक हिरासत में भेज गए थे. शनिवार को फिर कोर्ट में पेशी के बाद 6 दिनों की रिमांड मिली.
नवंबर 2022 में पड़ा था पहला छापा
ईडी ने जमीन घोटाले की जांच रांची के तत्कालीन आयुक्त नितिन मदन कुलकर्णी की रिपोर्ट के आधार पर शुरू कर दी. सेना के कब्जे वाली जमीन के सिलसिले में जांच कर आयुक्त ने रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी. इस जांच रिपोर्ट में साफ था कि फर्जी नाम और पता के आधार पर सेना की जमीन पर कब्जा किया गया. इस मामले की जांच शुरू हुई तो पहला छापा नवंबर 2022 में व्यापारी विष्णु अग्रवाल, अमित अग्रवाल के ठिकानों पर पड़ा.
22 अप्रैल की छापेमारी के बाद गिरफ्तारी
13 अप्रैल को सेना जमीन फर्जीवाड़े में ईडी ने रांची के पूर्व डीसी छवि रंजन समेत कई लोगों के ठिकानों पर 22 जगहों पर छापेमारी की थी. उसके बाद सीआई, जमीन दलाल समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. जो अभी बिरसा मुंडा जेल होटवार में हैं. इन पर सेना की जमीन के मूल दस्तावेज में छेड़छाड़ करने, फर्जीवाड़ा करने और फर्जी दस्तावेज के आधार पर होल्डिंग नंबर लेने, फर्जी कब्जा दिखाकर जमीन बेचने जैसे के आरोपों की पुष्टि हो चुकी है. 24 अप्रैल को फिर एक छापा पड़ा मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थापित पीपीएस उदय शंकर के ठिकानों पर, मामले में हर दिन नए नए नाम जुड़ते जा रहे हैं. कई लोग इसके जद में आ रहे हैं.
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