



रांची: आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर ‘लाल आतंक’ अब समाज की मुख्य धारा में जुड़ने लगे हैं. नक्सलवाद से जुड़े बड़े-बड़े नाम सरेंडर कर रहे हैं. रांची में आज झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के पदाधिकारियों के सामने 5 बड़े इनामी नक्सलियों ने हथियार डाले. जिसमें इनमें 10 लाख का इनामी, जोनल कमांडर अमरजीत यादव उर्फ टिंगू. 05 लाख का इनामी, सब-जोनल कमांडर सहदेव यादव उर्फ लटन. सब- जोनल कमांडर नीरू यादव उर्फ सलीम. सब-जोनल कमांडर संतोष भुईया उर्फ सुकन और दस्ता सदस्य अशोक बैगा उर्फ अशोक परहिया का नाम शामिल है.
हथियारों का जखीरा बरामद
सरेंडर करने वाले नक्सलियों के पास से 4 पीस एके- 56. एके-56 गोली 450 राउंड. एके-56 मैगजीन 5, एसएलआर 2, एसएलआर गोली 225 राउंड. इंसास रायफल 2, 303 बंदूक 4 पीस, एमएमयूएस रायफल 2 पीस, एयर गन 2, पिस्टल 3, देसी बंदूक 4 और वायरलेस सेट 32 मिले हैं. इसके अलावा कई राउंड जिंदा कारतूस, भारी मात्रा में पोटास बरामद किये गए हैं
इस साल बड़े नक्सलियों का सरेंडर
पुलिस के एक्शन और सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर ये नक्सली समर्पण कर रहे हैं. हाल ही में भाकपा माओवादी नक्सली संगठन के झारखंड में रीजनल कमेटी सदस्य और 15 लाख के इनामी नक्सली इंदल गंझू ने भी सरेंडर किया था. इंदल गंझू पर चतरा, हजारीबाग, पलामू के साथ बिहार के गया और औरंगाबाद में 145 मामले दर्ज थे. 16 अप्रैल को नक्सल प्रभावित चतरा जिले में पुलिस के सामने चार इनामी नक्सलियों ने एक साथ सरेंडर किया था. जिसमें 5 लाख का इनामी नक्सली सहदेव यादव, नीरू, संतोष भुइयां, और लखन यादव शामिल थे. 10 फरवरी को भी माओवादी रीजनल कमेटी के सदस्य दुर्योधन महतो ने रांची में झारखंड पुलिस और सीआरपीएफ के सामने आत्मसमर्पण किया था. दुर्योधन महतो पर 15 लाख रुपए का इनाम था. जिस पर कई थानों में बड़े-बड़े मामले दर्ज थे. जनवरी के पहले सप्ताह में भी भाकपा माओवादी के एक करोड़ रुपए के इनामी मिसिर बेसरा के दस्ते में शामिल तीन महिला नक्सलियों समेत 8 बड़े नक्सलियों ने सरेंडर किया था. जिसमें जयराम बोदरा, मातरम अंगरिया, सरिता सरदार, पूर्ति पातर कोड़ा, कुशनूर सिरका और संजीव पूर्ति उर्फ रोशनी पूर्ति शामिल हैं.
हिंसा नहीं मुख्य धारा में ही सम्मान
आत्मसमर्पण के बाद नक्सलियों ने बताया कि कैसे उन्होंने हथियार उठा लिये थे. लेकिन हिंसा के रास्ते में हर पल खतरा बना रहता है. घर परिवार सबसे भागते रहना पड़ता है. इनहोंने अपने बाकी साथियों से भी अपील की है कि वो भी मुख्य धारा में शामिल होकर नए तरीके से सम्मान की जिंदगी बिताएं. सूत्रों के मुताबिक कई और बड़े नक्सली सरेंडर करने के लिये तैयार हैं.