



दिल्ली: अगले साल लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं ऐसे में एक बार फिर बीजेपी की रफ्तार को रोकने के लिये विपक्षी एकता की कवायद चल रही है. इस बार इसका जिम्मा उठाया है बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने. नीतीश कुमार मोदी विरोधियों को एक साथ लाने की मुहिम में लगे हैं. अलग-अलग दलों के नेताओं, मुख्यमंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं. नीतीश ने पश्चिम बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और वाम दलों के नेताओं से मुलाकात की. उसके बाद दिल्ली में आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से मिले. यूपी में सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ मीटिंग के बाद ओडिशा भी पहुंचे बीजेडी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से मुलाकात की. फिर मुंबई में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे और एनसीपी चीफ शरद पवार से मिले. रांची पहुंची जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष और सीएम हेमंत सोरेन से भी चर्चा की. अभी नीतीश का साउथ का दौरा बाकी है. इन मुलाकातों में अगर बीजेडी को छोड़ दें तो लगभग सभी दलों ने नीतीश की इस कोशिश की सराहना की है और साथ का वादा भी किया है.
आप को साथ लाने की चुनौती
नीतीश की मुहिम जितनी मुश्किल दिख रही, है उस से भी ज्यादा. इतनी सारी अलग-अलग दलों को एक छत्री के नीचे लाना किसी बड़े जंग को जीतने के जैसा है. पहले भी कई बार ऐसी कोशिशें हो चुकी हैं. लेकिन नतीजा सिफर निकलता है. और इस बार की इस कोशिश में भी कई रोड़े हैं. लेकिन सबके कठिन है आप आदमी पार्टी को विपक्षी गठबंधन में लाना. वैसे तो केजरीवाल ने नीतीश को भरोसा दिलाया है. लेकिन आप की सबसे बड़ी परेशानी है कांग्रेस. पंजाब जीतने और कई राज्यों में विधनसभा में अच्छा प्रदर्शन के बाद आप अब एक राष्ट्रीय पार्टी बन चुकी है. बीजेपी और कांग्रेस के बाद सबसे ज्यादा राज्यों में उसकी सरकार है. कई बार बीजेपी के खिलाफ कांग्रेस का विकल्प भी मानी जाती है. कांग्रेस के एक बड़े वोट बैंक पर आप पहले ही सेंधमारी कर चुकी है. दिल्ली में दोनों पार्टियों की बीच की खींचतान किसी से छुपी नहीं. सोशल मीडिया पर हर दिन इसके नेता एक-दूसरे से भिड़ते रहते हैं. हालांकि कुछ दिनों ने कांग्रेस के शीर्ष नेता आपको लेकर जरा नरम दिख रहे हैं. यही हाल आपके नेताओं के साथ भी है. लेकिन कांग्रेस नेता अजय माकन के तेवर अलग हैं. शराब घोटाला को लेकर वो लगातार सीधे केजरीवाल सरकार पर निशाना साध रहे हैं.
केंद्रीय जांच एजेंसियां बड़ा ‘सहारा’
विपक्ष एकता की बात हर चुनाव से पहले सुलगती है, लेकिन ये ज्वाला नहीं बन सकी है. हां इस बार हालात इसके साथ हैं. कारण है केंद्रीय जांच एजेंसियों की लगातार कार्रवाई. झारखंड, बिहार, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, तमिलनाडु, दिल्ली समेत गैर बीजेपी शासित राज्यों में इन दिनों सीबीआई, ईडी काफी एक्टिव है. लगातार बड़ी-बड़ी कार्रवाइयां हो रही हैं. विपक्ष नेतता लगातार बीजेपी इन एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर विपक्ष को परेशान करने का आरोप लगा रहे हैं. ये लोग सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचे, हालांकि वहां से निराशा हाथ लगी. लेकिन केंद्रीय एजेंसियों के बहाने ही सही इन अलग-अलग दलों के सुर जरुर मिल रहे हैं. लेकिन ये सुर कितना सुरीला संगीत तैयार करते हैं ये तो वक्त ही बताएगा.
ये भी पढ़ें: संथाल में बांग्लादेशी घुसपैठ को लेकर सुनवाई, HC ने केंद्र से चार हफ्तों में मांगा जवाब