झारखंड हाई कोर्ट के नए भव्य भवन का उद्घाटन, राष्ट्रपति ने कहा कोर्ट से इंसाफ के साथ हक भी मिले

रांची: झारखंड को अपना नया हाई कोर्ट बिल्डिंग मिल गया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने करीब 165 एकड़ में फैले इस भव्य भवन का उद्घाटन किया. मौके पर राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन, देश के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़, झारखंड के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, भारत के कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, झारखंड हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश अनिरुद्ध बोस भी मौजूद रहे.

 

कोर्ट से इंसाफ के साथ हक भी मिले- राष्ट्रपति

अपने संबोधन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि झारखंड आकर उन्हें ऐसा लग रहा की वो लंबे समय बाद अपने घर लौटी हैं. उन्होंने कहा कि अंग्रेजी कोर्ट की प्राइमरी भाषा है लेकिन ज्यादातर लोगों तक इनकी पहुंच नहीं. उन्होंने कहा की वो अंग्रेजी में भाषण दे रही हैं, और देश के चीफ जस्टिश ने शानदार तरीके से हिन्दी में अपनी बात रखी, आगे भी उम्मीद है भाषाओं की बाधा दूर होगी. उन्होंने कहा कि यहां पर बहुत सारे, जस्टिस, अधिवक्ता, विद्वान बैठे हैं, बहुत सारे केस हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचते हैं. वहां से फैसले मिलने पर लोग नाचते हैं, गाते हैं, खुश होते हैं. लेकिन फिर वो निराश हो जाते हैं जिस इंसाफ के लिये उन्होंने समय, पैसा खर्च किया वो खुशी असली खुशी में नहीं बदलता तो फिर दुख होता है. बहुत सारे लोग मेरे सामने आते हैं कहते हैं हमने केस तो जीत लिया लेकिन हक नहीं मिल रहा. इसपर ज्यूडिशियरी, सरकार को ध्यान देने की जरुरत है.

जस्टिस डिलेड इस जस्टिस डिनाइड- राज्यपाल

राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में ये महत्वपूर्ण दिन है. उन्होंने कहा कि मुझे कोई शक नहीं है कि हमारे देश के चीफ जस्टिस से झारखंड को पूरा सहयोग मिलेगा. न्याय सबका हक है, न्यायपालिका इंसाफ का मंदिर है, हर भारतीय कोर्ट के फैसलों पर विश्वास करता है. भरोसा करता है. उन्होंने कहा हमे ये कभी नहीं भूलना चाहिये कि अगर न्याय में देरी होती है तो न्याय से इंकार किया जाता है, फिर जल्दबाजी में न्याय को दफन किया जाता है.

अंडर ट्रायल जमानत देरी सही नहीं- सीजेआई

भारत के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचुड़ ने कहा की अंडर ट्रायल के जमानत में देरी सही चीज नहीं, जिला न्यायालयों को बराबरी पर लाना होगा. न्याय व्यवस्था को नागरिकों तक पहुंचना होगा आज भी आदिवासी, पिछड़ों के पास जमीन से जुड़े दस्तावेजों की कमी है. कोर्ट के काम अंग्रेजी में होता है ऐसे में हमारे फैसलों का अनुवाद स्थानीय भाषाओं में भी जरुरी है. अदालत की कार्यवाही को लाइव दिखाने से भारत के हर घर में ये पहुंचेगी और लोग हमारी न्यायपालिका की पारदर्शिता को देख सकेंगे.

सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में आदिवासियों का रिजर्वेशन हो- सीएम

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि एक आदिवासी बहुल छोटे से राज्य में इतना बड़ा हाई कोर्ट भवन बनाया गया है. यहां के गरीब, पिछड़ों को न्याय दिलाने में इसकी बड़ी भूमिका होगी. सीएम ने हमने कुछ दिन पहले ही 107 लोक सहायक अभियोजकों को नियुक्त किया है, अभी और नियुक्तियां होंगी. उन्होंने कहा कि न्यायपालिका में बेहतरी के लिये उठाए जा रहे कदमों में सरकार पूरा सहयोग करेगी. उन्होंने सुपीरियर ज्यूडिशियल सर्विस में आदिवासियों की उपस्थिति ना के बराबर है, ऐसे में आदिवासी बहुल राज्य में वरीय न्याय सेवा कि नियुक्ति प्रक्रिया में आरक्षण की व्यवस्था हो.

आधुनिक हो रहा है भारत का ज्यूडिशियरी सिस्टम- कानून मंत्री

कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा की ई-कोर्ट, फास्ट कोर्ट, लोक अदालत, 24 घंटे चलने वाले कोर्ट जैसे नए नए तरीकों को हमने अपनाया. मोबाइल एप्प, पोर्टल, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हेयरिंग जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है. कोविड काल में दुनिया में सबसे ज्यादा हेयरिंग भारत में ही हुई थी. उन्होंने कहा की सरकार ने 1500 से ज्यादा ऐसे कानूनों को रद्द किया है जो इस्तेमाल में नहीं थे. उन्होंने कहा की ज्यूडिशियरी में ज्यादा से ज्यादा स्थानीय भाषाओं का इस्तेमाल होने से लोग आसानी से जुड़ सकते हैं.

भारत का सबसे बड़ा हाई कोर्ट कैंपस

क्षेत्रफल के हिसाब से ये भारत का सबसे बड़ा हाई कोर्ट कैंपस होगा. कई सुविधाएं को सुप्रीम कोर्ट से भी बेहतर हैं. इसके लिये राज्य सरकार ने 165 एकड़ जमीन दी है. लगभग 69 एकड़ भूमि का उपयोग हाईकोर्ट के प्रशासनिक भवन, कोर्ट रूम, अधिवक्ता रूम और बाकी कामों लिए किया गया है.  बाकी जमीन पर आवासीय परिसर बनाया जाएगा. हाईकोर्ट का बिल्डिंग पूरी तरह ग्रीन है. इसमें बिजली जरूरत को पूरा करने के लिए 2000 किलोवाट का सोलर पावर सिस्टम लगाया गया है. पार्किंग के लिये जो शेड बनाए गए हैं उसकी छतों पर सोलर पैनल लगाया गया है. जहां से सोलर एनर्जी इकट्ठा होगी. पूरे परिसर में वाई-फाई है. कोने-कोने पर नजर रखने के लिये CCTV लगाए गए हैं. साथ ही सेंसर आधारित बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम का भी उपयोग किया गया है. इससे एक ही जगह से बिजली, पंखा, एसी और बाकी जरूरी चीजों को मैनेज किया जा सकता है. यहां एस्केलेटर की सुविधा भी मिलेगी. जो भवन के बेसमेट से दूसरे फ्लोर तक जाएगी. वहीं छत पर एक बड़ा गुंबद और गुंबद के छोटे स्वरुप बने हैं.

25 आधुनिक कोर्ट रुम बनाए गए हैं

बिल्डिंग में चीफ जस्टिस समेत कुल 25 कोर्ट रूम बनाए गए हैं. चीफ जस्टिस का कोर्ट रूम 80 गुणा 65 और बाकी 60X40 फीट के हैं. कोर्ट रूम की इंटरनल डेकोरेशन अलग तरह की है, जो देश के किसी हाईकोर्ट में नहीं है. यहां पेटिंग्स, दीवारों पर न्याय से लेकर जुड़ी तस्वीरें लगाई गई हैं. जज के टेबर पर आधुनिक कंप्यूटर, साउंड सिस्टम, अधिवक्ता और मुवक्कील के लिये टॉकबैक और कोर्ट में बैठने के लिये शानदार गद्देदार कुर्सियां लगाई गई हैं. यही बड़ी बड़ी एलईडी स्क्रीन भी हैं. हर कोर्ट रुम के पीछ न्यायाधिशों के लिये रेस्ट रुम बने हैं. जजों के लिये अलग गेट है जहां से गाड़ी से उतर कर वो सीधे अपने कोर्ट रुम पहुंच सकते हैं.

कैंपस के अंदर बैंक, डाक घर, डिस्पेंसरी

कोर्ट परिसर में ही 540 वकीलों के बैठने के लिए अलग-अलग चैंबर भी बनाए गए हैं. तो वहीं कैंपस के अंदर ही बैंक, डाक घर, पावर स्टेशन, डिस्पेंसरी समेत कई सुविधाएं हैं. टाइपिस्ट के लिये बैठने की जगह. दोनों फ्लोर पर वेटिंग रुम. कोर्ट बिल्डिंग में इंट्री करते ही न्याय की देवी की मूर्ति लगाई गई है. वहीं दोनों ओर दीवारों में महापुरुषों और संविधान निर्माता बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर से जुड़ी तस्वीरें लगाई गई है. वहीं बिल्डिंग के सामने तीन आकर्षक फाउंटेन लगाए गए हैं जिसमें शानदार लाइटिंग भी है.

10 वर्षों में बनकर तैयार हुआ नया हाई कोर्ट भवन

हाईकोर्ट के नए भवन का शिलान्यास 9 फरवरी 2013 को सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने किया था. निर्माण 8 जून 2015 को शुरू हुआ. इस पर 600 करोड़ रु. खर्च होने का अनुमान है. इसके लिए पहली बार 366 करोड़ की स्वीकृति दी गई थी. कंट्रैक्टर के साथ 290 करोड़ का एग्रीमेंट हुआ था. उसके बाद दूसरी बार 106 करोड़, तीसरी बार 124 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई. सोलर एनर्जी के लिए 14 करोड़ की रकम अलग से दी गई है. हाई कोर्ट शुरू होने तक 100 करोड़ और खर्च होने का अनुमान है.

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