



रांची : पूर्व मंत्री, झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष बंधु तिर्की ने कहा है कि, जिस जनजातीय समाज के लिए विशेष रूप से झारखण्ड का गठन किया गया था वह विकास की रोशनी से बहुत दूर हो चुका है. जरुरत है कि सरकार अपनी संवेदनशीलता का परिचय देते हुए जनजातीय आदिवासी समाज के समग्र राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक एवं रोजगार के क्षेत्र में उसके विकास की ओर अपना ध्यान केंद्रित करें.
बंधु तिर्की ने जोर दिया कि आदिवासियों से सम्बंधित महत्वपूर्ण योजनाओं को जमीनी स्तर पर कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी वैसे अधिकारियों को सौंपी जानी चाहिये, जिनमें जनजातीय समाज से भावनात्मक लगाव है और वे वाकई में आदिवासियों का उत्थान चाहते हों. उन्होंने कहा कि, झारखण्ड की विशिष्ट आवश्यकतायें हैं जिसे नज़रअंदाज़ करना सभी के लिये आत्मघाती है.
जनजातीय समुदाय सबसे भावनात्मक
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि जल, जंगल और जमीन को सबसे अधिक ऊँचा स्थान देनेवाले झारखण्ड में जनजातीय समुदाय सबसे भावनात्मक है. अधिकारियों सहित अनेक नेताओं ने इस बात का भरपूर फायदा उठाया है. लेकिन किसी भी समाज को असीमित समय तक अंधेरे में नहीं रखा जा सकता. उन्होंने कहा कि झारखण्ड में आदिवासियों के ज़मीन का हित संरक्षित करने के लिये विशेष रूप से छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) एवं संथाल परगना काश्तकारी अधिनियम (एसएनपीटी) लागू तो है परन्तु अवांछित तत्वों द्वारा उसकी लगातार अवहेलना की जा रही है और झारखण्ड के परिप्रेक्ष्य में यह बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि जिन आदिवासियों के लिए झारखण्ड का गठन किया गया, वही आज विकास की परिभाषा में न केवल हासिये पर चले गये हैं बल्कि अब उनकी सांस्कृतिक-सामाजिक पहचान पर भी खतरा है.
पाँचवी अनुसूची को प्रभावी स्वरुप में लागू करना बहुत ज़्यादा जरूरी
तिर्की ने कहा कि, विशेष रूप से पेशा कानून और झारखण्ड में पाँचवी अनुसूची को प्रभावी स्वरुप में लागू करना उन सभी के लिये बहुत ज़्यादा जरूरी है जो दिन-रात आदिवासी हित और आदिवासियत की बातें करते हैं. आदिवासियों के जीवन को गुणवत्तापूर्ण बनाने के लिये यह आवश्यक है कि सरकार महत्वपूर्ण एवं संवेदनशील अधिकारियों को इससे संबंधित जिम्मेदारी देकर ऑपरेशनल मोड में काम करे.
जनजातीय परिवारों का जीवन स्तर ऊँचा उठाने तथा उन्हें शिक्षा एवं उनकी कुशलता के अनुरूप रोजगार उपलब्ध कराने के साथ ही उनके जीवन और जनजातीय समाज की विशेषताओं को कायम रखने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार ने अपनी योजनाएं तो चालू की हुई है लेकिन वह प्रभावी रूप में जमीनी स्तर पर लागू नहीं की जा रही है और यह सबसे अधिक तकलीफ की बात है.
भ्रष्टाचार, लापरवाही एवं उपेक्षा का भाव सबसे बड़ी बाधा
उन्होंने कहा कि प्रशासन द्वारा किसी भी योजना के कार्यान्वयन में न केवल सचिवालय बल्कि जिला एवं प्रखण्ड स्तर पर भी भ्रष्टाचार, लापरवाही एवं उपेक्षा का भाव सबसे बड़ी बाधा है.
तिर्की ने विशेष रूप से वनाधिकार अधिनियम की चर्चा करते हुए कहा कि अब तक ना तो अधिकारियों को इस अधिनियम के पूरी जानकारी है और ना ही वे इसे लागू करवाने के प्रति ही समर्पित हैं, साथ ही इसके परिणाम स्वरुप ग्रामीणों एवं वन क्षेत्र में रहनेवाले आदिवासियों के बीच जागरूकता को बढ़ाकर इस क़ानून का प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जा रहा है.
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से की अपील
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि जनजातीय समाज के संदर्भ में जितनी भी योजनाएं राज्य में लागू है, उसका नियत अवधि में अपेक्षित परिणाम की प्राप्ति के लिये सरकार नियमित रूप से योजनाओं के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करें और इस संबंध में समय-समय पर आवश्यक दिशा निर्देश दे. तिर्की ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से अपील की है कि यदि सरकार ने अपनी संवेदनशीलता का परिचय देकर तत्काल प्रभावी कदम नहीं उठाये तो आनेवाले समय में इसका खामियाजा न केवल पूरे झारखण्ड को भुगतना पड़ेगा बल्कि देश पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और इस संपूर्ण कार्यप्रणाली के लिये हम अपने-आप को कभी भी क्षमा नहीं कर पायेंगे.
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