



इंफाल: केंद्रीय मंत्री अमित शाह मणिपुर के दौरे पर है आज उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया. मणिपुर हिंसा को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि एक फैसले के कारण यहां पर जातीय हिंसा की शुरुआत हुई. हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा. शाह ने कहा कि अप्रैल में एक फैसले की वजह से मणिपुर में जातीय हिंसा की शुरुआत हुई. पिछले 6 वर्षों से जब से मणिपुर में भाजपा के सरकार आई, मणिपुर बंद, कर्फ्यू और हिंसा से मुक्त हो गया था.
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#WATCH 29 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक जल्दबाज फैसले के कारण यहां पर जातीय हिंसा और दो ग्रुप के बीच में हिंसा की शुरुआत हुई: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, इंफाल pic.twitter.com/vtDhUKzX1D
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 1, 2023
हिंसा की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन
अमित शाह ने कहा कि मणिपुर में डबल इंजन की सरकार ने विकास के सभी पैमाने के अभूतपुर सिद्धि हासिल की. पिछले 1 महीने में मणिपुर में हिंसक घटनाएं हुई है. जिन नागरिकों की हिंसा में मौत हुई है उनके परिजनों के प्रति में प्रधानमंत्री मोदी और अपनी तरफ से संवेदना व्यक्त करता हूं. संसार की जांच के लिए न्यायिक आयोग का गठन किया जाएगा हिंसा के 6 केसों की जांच सीबीआई करेगी हिंसा पीड़ितों को 10 लाख का मुआवजा देने की घोषणा हुई है जिसमें से 5 लाख राज्य सरकार देगी और 5 लाख योगदान केंद्र का होगा.
मणिपुर हिंसा
भारत के उत्तर पूर्वी राज्य मणिपुर में 3 मई में 2023 को मैतेई लोगों के बीच एक जातीय संघर्ष को लेकर हिंसा शुरू हुई, जो इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक, और कुकी और आसपास की पहाड़ियों के आदिवासी समुदाय है उनके बीच शुरू हुई. इस हिंसा में लगभग 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई और सैकड़ो लोग घायल हो गए थे.
मणिपुर विवाद का संबंध भारतीय संविधान के तहत अनुसूचित जनजाति के दर्जे के लिए मैतेई लोगों की लंबे समय से चली आ रही मांग से है, जो उन्हें आदिवासी समुदाय के बराबर विशेषाधिकार प्रदान करेगा. अप्रैल में, मणिपुर उच्च न्यायालय के एक फैसले ने राज्य सरकार को इस मुद्दे पर चार सप्ताह के भीतर निर्णय लेने का आदेश दिया था. आदिवासी समुदायों ने मैतेई की मांग का विरोध किया और ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन ऑफ मणिपुर (एटीएसयूएम) ने 3 मई को सभी पहाड़ी जिलों में एकजुटता मार्च निकाला. मार्च के अंत तक, इंफाल घाटी की सीमा से सटे चुराचांदपुर जिले में और उसके आसपास मैतेई और कुकी आबादी के बीच संघर्ष शुरू हो गया.
10,000 सैनिकों और अर्धसैनिक बलों की तैनाती
भारतीय सेवा ने कानून और व्यवस्था बहाल करने के लिए करीब 10,000 सैनिकों और अर्धसैनिक बलों को भेजा. राज्य में इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया और 144 धारा लागू कर दी गई. मामले की गंभीरता को देखते हुए कर्फ्यू लागू करने के लिए भारतीय सैनिकों को “देखते ही गोली मारने” के आदेश दिए गए थे.
क्या है मणिपुर की जाति समीकरण ?
बता दें कि मणिपुर की लगभग 38 लाख की आबादी में से आधे से ज्यादा मैतेई समुदाय के लोग हैं. वहीं राज्य के 90% क्षेत्र में रहने वाले लोगों में नगा और कुकी जनजाति के लोगों की आबादी 34% हैं. नगा और कुकी जनजाति के लोगों का मानना है की मैतेई समुदाय को एसटी (ST) का दर्जा मिलने से उनके अधिकारों में बंटवारा होगा. हाल ही में मणिपुर हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल करने पर विचार करने के आदेश जारी किए था. इससे नगा-कुकी जनजाति के लोग नाराज चल रहे थे. बता दें की मैतेई हिंदू धर्म को मानते हैं, जबकि एसटी (ST) वर्ग के अधिकांश नगा और कुकी ईसाई धर्म को मानने वाले हैं.
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